एक महिला को मातृत्व का एहसास तभी होता है जब उसके गर्भ में एक नन्हा सा जीवन होता है। यह कितना सुखद अहसास है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। प्रसन्नता के साथ-साथ एक अज्ञात भय भी बना रहता है। ऐसी स्थिति में क्या करें? तो सबसे अच्छा उपाय है ध्यान, जो इस स्थिति में हर महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है।
शांत मन से आप तनावमुक्त रहेंगे
मूड स्विंग्स के लिए गर्भावस्था के समय ध्यान लगाने की कोशिश कीजिये. जब आप ध्यान करेंगे तो आपको आंतरिक शांति का अनुभव होगा। मूड स्विंग होने का असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। ऐसी स्थिति में, योग मन को शांत करता है और माता के मन में सकारात्मकता का संचार करता है।
ध्यान करने का सही समय
वैसे तो मेडिटेशन कभी भी किया जा सकता है, लेकिन इसका सबसे अच्छा असर तब होगा जब आप सुबह उठकर मेडिटेशन करेंगे। अगर आप गर्भावस्था के दौरान दिन में दो से तीन बार मेडिटेशन करती हैं तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
याद रखने वाली चीज़ें
- ध्यान करते समय आपका पेट खाली नहीं होना चाहिए और न ही भरा हुआ होना चाहिए।
- अगर आप रोजाना मेडिटेशन करते हैं तो आपको कमजोरी, घबराहट, बार-बार जी मिचलाना जैसी समस्याओं से निजात मिल जाएगी। आप दिन में 15 मिनट अनुलोम विलोम कर सकते हैं। जो आपको तरोताजा कर देंगे।
- ध्यान के लिए आपको सही जगह का चुनाव करना चाहिए। यदि आप जमीन पर बैठे हैं तो दीवार के सहारे पीठ के बल बैठ जाएं और यदि कुर्सी पर बैठे हों तो सीधे बैठे हुए पैरों को लटकाएं नहीं बल्कि सीधे रखें।
- अगर आप ऑफिस जाते हैं तो वहां ब्रेक लेकर मेडिटेशन कर सकते हैं।
- आप ध्यान करने के लिए मन को शांत करने वाले संगीत का चयन कर सकते हैं। आप सितार, वीणा, बांसुरी, या किसी अन्य प्रकार के वाद्य यंत्र से जुड़ा संगीत सुन सकते हैं। इस दौरान आंखें बंद कर लें और अपना सारा ध्यान संगीत की ध्वनि पर केंद्रित करें।
लाभ
ध्यान आपके शरीर में सकारात्मकता लाता है। अगर आप नियमित रूप से मेडिटेशन करती हैं तो आप गर्भ में पल रहे शिशु से बेहतर संवाद कर पाएंगी। प्रसव का समय नजदीक आते ही मन में एक अनजाना सा डर हावी हो जाता है। ऐसे में मेडिटेशन आपके मन से चिंताओं और बुरे विचारों को कम करेगा और मन की उलझनों को दूर कर आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाएगा ताकि नॉर्मल डिलीवरी में कोई दिक्कत न हो।